उद्देश

जिला राजपूत समाज संगठन मंदसौर
उद्देश
 संस्था का उद्देश समाज को संगठित करना उनके सामाजिक आर्थिक,राजनेतिक,हितों व संस्कृति का संरक्षण करते हुऐ समाज में व्याप्त कुरितीयों को दूर करना तथा समाज की सामाजिक ढांचे में गहरी जडे जमा चूकि सामाजिक बुराईयों को दूर करने के लिये जनमत तैयार करना इस हेतू संगठन को व्यापक रुप से खडा करना जिससे समाज का प्रत्येक व्यक्ति इस संगठन का निर्णय अपना निर्णय मानकर उसका पालन करें । इस हेतू सामाजिक दबाव तैयार करना सामुहिक विवाह के माध्यम से फिजुल खर्ची रोक लगाना समाज के हितो के लिये आंदोलन करना। नैतिक चरित्र का निर्माण तथा धार्मिक संस्थानों का संरक्षण करना इसके अलावा अन्य विषय जो समय समय पर संस्था की साधारण सभा या जिला कारिकारीणी द्वारा इसमें शामिल किया जावें वह कार्यक्रम करना। उक्त उद्वेश्यों की पूर्ती के लिये संस्था ने अपने उद्देशों को 3 भागों में बांटे जो क्रमशः

1.तात्कालिक                        2.दिर्घकालिन                       3.अनवरत

                                  संस्था के गठन दिनाँक 27 फरवरी 2000 को तात्कालिक लक्ष्य यह निर्धारित किया गया था कि मंदसौर शहर मे निवास करने वाले सभी समाजजनों को सदस्य बनाकर कार्यकारिणी का गठन किया जावें। इस उद्देश को लेकर 27 फरवरी 2000 से 2 अप्रेल 2000 के मध्य 285 सदस्य मंदसौर शहर मे बनायें । और 2 अप्रेल 2000 को प्रथम होली मिलन समारोह श्री विरेन्द्र सिंह पुरावत (जाजली) द्वारा उपलब्ध कराये गये स्थान पर आयोजन किया गया जिसमें इस संस्था की पहली कार्यकारिणी का गठन किया गया। जिसमें प्रथम अध्यक्ष विष्णूशरणसिंह सिसोदिया बनाये गये।

                                  2 अप्रेल 2000 को पहली साधारण सभा में महाराणा प्रताप जयंति मनाया जाना तय किया गया। तथा इसी साधारण सभा में महाराणा प्रताप को संस्था का आदर्श पुरुष संस्था का प्रतिक चिन्ह् ध्वज तय किये गये।

संस्था के आदर्श पुरुष - महाराणा प्रताप

संस्था का प्रतिक चिन्ह:- घुडसवार योद्धा की मुद्रा में महाराणा प्रताप
ध्वज:- त्रिभुजाकार केसरिया
आदर्श वाक्य:- शौर्य स्वाभिमान समर्पण वीरता त्याग बलिदान और राष्ट्र भक्ति

                           उक्त उद्देश की पूर्ती के लिये महाराणा प्रताप की जयंति पर कार्यक्रम कहां आयोजित किया जाये यह प्रश्न उत्पन्न हुआ क्योंकि वर्ष 2000 में मंदसौर शहर में महाराणा प्रताप या राजपूत समाज के पास कोई स्थान नही था। फिर भी जयंति मनाना तय होने से वर्तमान प्रताप चौराहा को महाराणा प्रताप के नाम से चौराहा बनवाने के लक्ष्य को लेकर उस स्थान से प्रथम बार चल समारोह कतारबद्ध व अनुशासित रुप से निकाला गया जो शहर के प्रमुख मार्गो से होता हुआ वापस उसी स्थान पर सभा के रुप में परिवर्तित हुआ।

                             महाराणा प्रताप चौराहा बनवाकर उसमें प्रतिमा लगवाने का लक्ष्य तय किया गया। तत्कालिन समय वर्ष 2000 में महाराणा प्रताप की प्रतिमा नही थी मंदसौर विकास प्राधिकरण द्वारा केवल चौराहा को घेर कर फाउंडेशन बनाया हुआ था। और प्रतिमा के बिना छोडा हुआ था। तत्कालिन नगर पालिका अध्यक्ष व वर्तमान विधायक यशपालसिंह सिसोदिया द्वारा धन की कमी होना व्यक्त किया गया था। जिस पर से जिला राजपूत समाज ने 9 मार्च 2001 को तत्कालिन मुख्यमंत्री श्री दिग्विजयसिंह जी का अभिनंदन करते हुवें महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगवाये जाने हेतू नगर पालिका मंदसौर को धन उपलब्ध कराने के सबंध में मिला और ज्ञापन दिया। तथा वर्तमान में जहां महाराणा प्रताप की प्रतिमा लगी है उसे प्रताप चौराहा के नाम से विकसित कराने में सहयोग की अपील भी की गई इस पर तत्कालिन मुख्यमंत्री श्री दिग्विजयसिंह जी ने राजपूत की भावनाओं का ध्यान में रखते हुवें व्यक्तिगत रुप से रुची लेते हुऐ महाराणा प्रताप की प्रतिमा हेतू राज्य सरकार से नगर पालिका मंदसौर को धन उपलब्घ कराते हुवे प्रतिमा के चयन के लिये समाज के पूर्व जिलाध्यक्ष श्री विष्णुशरणसिंह सिसोदिया को अधिकृत किया गया। इस पर पूर्व जिलाध्यक्ष श्री विष्णूशरणसिंह सिसोदिया द्वारा ग्वालियर जाकर प्रतिमा का चयन किया । इस प्रतिमा का अनावरण एवं चौराहा के सोंदर्यकरण के लिये तत्कालिन नगरपालिका अध्यक्ष एवं वर्तमान विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया व्यक्तिगत रुची लेकर महाराणा प्रताप प्रतिमा का अनावरण राज्यपाल महामहिम भाई महावीर के हाथों सम्पन्न कराया। जिसमें संगठन की संपूर्ण कार्यकारिणी द्वारा प्रयास कर इस आयोजन को सफल बनाया जिसके फलस्वरुप मंदसौर शहर में आदमकद प्रतिमा महाराणा प्रताप चैराहे पर आपके सामने है।

दिर्घकालिन उद्देश

                             मंदसौर जिला राजपूत बाहुल्य होने के बाद भी जिला मुख्यालय मंदसौर में राजपूत समाज के पास बैठने के लिये कोई स्थान नही था। यह पीडा समाज जन को कचोटती रहती थी और बार बार इसके लिए शासन से भूमि मांगने की बात करते हूए ज्ञापन दिये जाते रहे प्रथम बार वर्ष 2001 में होली मिलन समारोह के अवसर पर शगुन गार्डन में हुई साधारण सभा में जिला राजपूत समाज मंदसौर द्वारा शासन पर निर्भर न रहते हूवें स्वंय समाज के सदस्यों के सहयोग से भूमि क्रय करने का निर्णय लिया जिसमें यह बात भी तय किया गया कि भूमि क्रय के लिये आवश्यक धन राशि मंदसौर शहर से एकत्रित की जावें। इस हेतू एक समिति का गठन किया गया जिसमें शिवप्रतापसिंह राणावत द्वारा चिन्हित लगभग 7500 वर्गफिट का भूखंड शहर के मध्य नाहर सैय्यद रोड मंदसौर मे 4 लाख 45 हजार 300 रुपये में क्रय करने का अनुबंध करते हूवें उक्त राशि एकत्रित करने के लिये अध्यक्ष विष्णुशरणसिंह सिसोदिया द्वारा कार्यकारिणी में से दो टीमें बनाई गई।

टीम ’’ए’’ में श्री नरेन्द्रसिंह चैहान (सीतामऊ) रिपुदमनसिंह चंद्रावत(कालूखेडा) के.के. सिंह भाटी (भारतपुरा )धर्मपालसिंह देवडा (खोडाना) महेन्द्रसिंह चंद्रावत(खजूरी जेरावरसिंह) चंद्रविनोदसिंह सेंगर (चंद्रपुरा) यशपाल सिंह राणा (घटावदा) जिन्होने ने 2 लाख 93 हजार 968 रुपये एकत्रित किये ।

टीम ’’बी’’ में भगवानसिंह शक्तावत (फतेहगढ) शिवप्रतापसिंह राणावत (सरवानिया महाराज) फुंदासिंह सिसोदिया (मजेसरा) भूपेन्द्रसिंह राठौर (खेडी) महेन्द्रसिंह राठौर (पतलासी )प्रितिपालसिंह राणा (नांदवेल) राजकुमार सिंह देवडा (बसइ्र्र) जिन्हाने 1 लाख 96 हजार 728 रुपये एकत्रित करके संस्था में जंमा करवायें। तत्कालिन कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा भूमि क्रय के लिये आवश्यक धनराशि का लक्ष्य पूरा हो जाने से प्रतिकात्मक अंशदान करते हूवें राशि एकत्रित करने के कार्य को रोक दिया। उक्त भूखण्ड की रजिस्ट्रेशन ( विकय पत्र का पंजीयन ) भी लगभग 55 हजार रुपये स्टॉप डयुटी अदा कर करवाया गया।

आवासीय विद्यालय:

                                          राजपूत समाज की प्रारंभ से ही मंदसौर शहर में बोडिंग हाउस आवासीय विद्यालय व स्कूल बनाने की हार्दिक आकांशा रही है। चुंकी आवासीय विद्यालय बनाने के लिये एक बडे भूखण्ड 1 लाख वर्ग फिट (5 बिघा) की आवश्यकता होती है। इसलिये आवासीय विद्याल हेतू म.प्र शासन से भूमि का आबंटन प्राप्त करने का निर्णय लेने के पश्चात तत्तकालिन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के मंदसोर प्रवास पर आए तब कार्यकारिणी के प्रतिनिधी मंडल ने सर्किट हाउस पर मिलकर आवासीय विद्यालय हेतू भूखण्ड आंबंटन हेतू आवेदन पत्र दिया। जिस पर दिग्विजयसिंह द्वारा समाजजन की भावनाओं को ध्यान में रखते हूवे कलेक्टर मंदसौर को इसमें आवश्यक कार्यवाही शीघ्र पूरे करने के आदेश दिए आवासीय विद्यालय हेतू अध्यक्ष विष्णुशरणसिंह सिसोदिया एवं के.के. सिंह भाटी द्वारा भूमि का चयन करने के पश्चात शासन द्वारा निर्धारित समस्त आवश्यक कार्यवाही तहसील कलेक्टर से पूरे करवाते हुवें भूमि आबंटन हेतू भूमि कलेक्टर द्वारा निर्धारित राशि की 10 प्रति. प्रिमियम 49 हजार 421 रुपये चालान से कलेक्टर मंदसौर के समक्ष जमा करवाये गए और उक्त आबंटन प्रकरण की सम्पूर्ण कार्यवाही होकर राज्य शासन के समक्ष पंहुचा तब तक तत्कालिन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की सरकार चली गई। उसके पश्चात बनी मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती बाबुलाल गौर एवं वर्तमान मुख्यमंत्री मान.शिवराजसिंह चौहान के मंदसौर प्रवास के दौरान एवं प्रतिनिधि मंडल द्वारा भोपाल जाकर कई बार ज्ञापन आवेदन मुख्यमंत्री एवं मंत्रीगणों को दिए गये परंतू अभी भी उक्त आवंटन प्रकरण शासन के समक्ष विचाराधिन है।वर्तमान विधायक श्री यशपालसिंह सिसोदिया द्वारा भी इसमें रुची लेते हूवें विधान सभा में इस संबंध में प्रश्न भी पुछा गया। आशा करते है कि वर्तमान विधायक श्री यशपालसिंह जी सिसोदिया उक्त भूमि आवंटन प्रकरण का निराकरण करवाकर भूमि समाज को दिलवाऐंगे। जिस पर समाज का संगठन आवासीय विद्यालय छात्रावास विशेष रुप से छोटे बच्चों व लड़कियों के लिये निर्माण करा सकें।

प्रत्येक गांव में प्रताप भवन का निर्माणः-

                                संस्था का लक्ष्य कि ऐसे गांव जहां पर समाज के 50 से ज्यादा परिवार रहते हो वहां पर एक बिघा जमीन ट्रस्ट के नाम से खरीदी जावें तथा उस पर प्रताप भवन के नाम से मागलिंक भवन का निर्माण किया जावें जिसका संचालक उस गांव की स्थानीय कमेटी करें।

प्रताप भवन का निर्माण:

                                      समाज द्वारा खरीदी गई भूमि को विक्रय कर उसके स्थान पर बडी जगह लेने का प्रयास कई बार किया गया लेकिन विभिन्न प्रकार की परिस्थितीयां एवं अवरोधी के कारण अंततः वर्ष 2009 में यह तय किया गया कि समाज द्वारा खरीदी गई भूमि पर निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाए और इसके अलावा भवन निर्माण समिति का गठन किया गया जिसका प्रभारी रघुराजसिंह सिसोदिया को बनाया गया। भवन के नक्शा के अनूरुप निर्माण करने के लिए लगभग 30 लाख रुपये की लागत बनी। जिस पर यह तय किया गया कि निर्माण कार्य तीन चरणों में पूरा किया जावें। इस हेतू प्रथम चरण में दो हॉल लेट,बाथ, का लगभग 2000 फिट का कंस्ट्रक्शन तथा बाउंड्रिस बनवाया जावें। इस हेतू आवश्यक धन राशि एकत्रित करने के लिये भी टीमें बनाई गई।वर्ष 2009 में आधा निर्माण कार्य हुआ इसके पश्चात वर्ष 2010 में सहयोगताओं से सम्पर्क कर एवं सदस्यता अभियान तथा विधायक निधि से प्राप्त राशि लगभग 11 लाख से प्रथम चरण का शेष निर्माण कार्य पूरा करवाया जाकर दिनांक 4 अप्रैल 2011 होली मिलन समारोह के अवसर पर उक्त भवन का लोकार्पण किया जाकर समाज को समर्पित कर दिया गया उक्त भवन समाज के लिये उपलब्ध है। इस हेतू पृथक से संचालन समिति का गठन भी किया गया है। वर्तमान में संचालक कमेटी के प्रभारी डॉ0 किशौर सिंह सिसौदिया मो0न0 8989692803है।

महाराणा बस स्टेण्ड की स्थापना:-

                                                   महाराणा प्रताप की प्रतिमा अनावरण एवं चौराहा के बनने के बाद भी यह चौराहा अतिक्रमण से ग्रस्त होकर (कुरुप) दिखाई देता था जब तक चौराहा अतिक्रमण हटाकर चौराहे का सोंइर्यीकरण नही हो जाता तब तक प्रतिमा लगने का लक्ष्य अधुरा था। राजपूत समाज की महाराणाा प्रताप चौराहा से जुडी भावनाओं को ध्यान में रखते हूवें तत्कालिन नगर पालिका अध्यक्ष व वर्तमान विधायक यशपालसिंह सिसौदिया द्वारा पहल कर अतिक्रमण हटवाने के साथ ही साथ चौराहा के समिप खाली पडे स्थान पर अत्याधिक विरोध के बावजुद बस स्टेण्ड का निर्माण करते हूवें इस बस स्टेण्ड का नामकरण महाराणा प्रतााप बस स्टेण्ड रखवाया गया। जिसके कारण यह चौराहा मंदसौर नगर में प्रवेश करते ही राजपूत समाज की संगठित व प्रभावशाली उपस्थिती का एहसास कराता है।

संगठन (अनवरत् प्रक्रिया)

                                   समाज की सम्पत्ति की व्यवस्था ट्रस्ट के माध्यम से करने के पश्चात राजपूत समाज की सामाजिक गतिविधियों के संचालन के लिये संगठन की आवश्यकता होती है। इसी उद्देश से ट्रस्ट के गठन एवं पंजीयन होने के पश्चात ट्रस्ट के अधिन व उसके नियंत्रण में सामाजिक गतिविधि के संचालन के लिये जिला राजपूत समाज संगठन मंदसौर के नाम पृथक ईकाई का गठन किया जाना तय किया गया। संविधान का प्रारुप बनाने की जिम्मेदारी के.के. सिंह भाटी को दी गई जिनके द्वारा प्रारुप बनाकर प्रस्तुत किया गया जिसे सर्व सहमति से स्वीकार किया गया। इस संविधान के अनुसार जिला राजपूत समाज संगठन मंदसौर का संचालन किया जाना तय किया गया।

                             उक्त संगठन के द्वारा प्रताप जयंति, होली मिलन समारोह, दशहरा मिलन समारोह, सामूहिक विवाह पत्रिका प्रकाशन, कुरुतियों को दूर करना, समाज को संगठित करना जो समय समय पर साधारण सभा या जिला कार्यकारिणी द्वारा इसमें शामिल किया जावें वह कार्यक्रम व आंदोलन करने की जिम्मेदारी दी गई है।

                             संस्था के 100 रुपये वार्षिक चंद अदा करने वाले समस्त सदस्य इस ईकाई के सदस्य बने रहेगें एवं नवीन सदस्य जो कि राजपूत समाज से संबंघित हैं को 100 रु सदस्यता शुल्क अदा करने पर सदस्य बनाया जा सकेगा। इसकी सदस्यता खुली रखी गई सामाजिक गतिविधियों के संचालन के लिये प्राप्त चंदा सहयोग राशि सदस्यता शुल्क इस ईकाई की आयहोगी जिससे यह कार्य करेगी।

                                 जिला राजपूत समाज संगठन मंदसौर की एक जिला कार्यकारिणी होगा जिसमें अधिकतम 21 सदस्य होगें समाज के सम्मानित एवं वरिष्ट सदस्यों में से 6 संरक्षक एवं समाज के सामाजिक आर्थिक राजनितिक क्षेत्र में कार्य करने वाले सदस्यों में से विशेष आमंत्रित सदस्य 11 सदस्य लियें जा सकेगे। जिला कार्यकारिणी के अधिनस्थ मंदसौर नगर ईकाई समस्त तहसील ईकाईयों मंदसौर ग्रामीण जिला महिला एवं अन्य समस्त दलौदा, सीतामऊ, सुवासरा, शामगढ, गरोठ, भानपूरा, मल्हारगढ जिला युवा ईकाई आदि इसके अधीनस्थ होगे जिला कार्यकारिणी द्वारा दिये गये निर्देर्शो का पालन करते हूवें कार्य करेंगे। पालन नही करने पर जिला कार्यकारिणी को संबंधित ईकाई निलंबित करने पदाधिकारी का प्रभार बदलने पद से पृथक करने एवं पुरी ईकाई का भंग कर चुनाव द्वारा पुनःगठत करने का अधिकार प्रदान किया गया है। जिनका कार्यकाल 3 वर्ष का होगा।

                              जिला एवं समस्त ईकाईयों को कम से कम 2 माह में एक बार कार्यकारिणी की बैठक करना आवश्यक रखा गया है और जो कार्यकारिणी सदस्य लगातार 3 बैठकों में उपस्थित नही होता है उसे अपना पक्ष रखने का अवसर देने के पश्चात यदि कारण उचित नही दुरसंचार या अन्य पाया जाता है तो उसे उस पद से पृथक संबंधित ईकाई या जिला कार्यकारिणी द्वारा किया जा सकेगा। बैठक की सूचना मौखिक लिखित प्रकार से दी जाकर बुलाई जा सकती हैं। प्रत्येक माह की 7 तारीख को कार्यकारिणी की बैठक आयोजित करना निश्चित किया गया है।

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